बोरियों/साहिबगंज: सरकार भले ही ग्रामीण विकास के लाख दावे करे, लेकिन ज़मीनी सच्चाई अब भी मूलभूत सुविधाओं के अभाव की ओर इशारा करती है। साहिबगंज जिले के बोरियों प्रखंड अंतर्गत पुआल पंचायत के पुआल गांव में आज तक सड़क नहीं बन पाई है। नतीजा—बीमारों को अस्पताल पहुंचाने के लिए ग्रामीणों को खटिया का सहारा लेना पड़ रहा है।

खटिया पर लिटाकर करीब दो किलोमीटर दूर चलना पड़ा पैदल:
मंगलवार को गांव के वृद्ध तोगो हेंब्रम को जब तबीयत ज़्यादा बिगड़ी, तो सड़क के अभाव में ग्रामीणों ने उन्हें खटिया पर लिटाकर करीब दो किलोमीटर दूर आयुष्मान आरोग्य मंदिर पुआल तक कंधों पर ढोकर पहुंचाया। ग्रामीणों के अनुसार, तोगो हेंब्रम कई दिनों से बीमार हैं और गांव की जर्जर सड़कें बारिश में पूरी तरह कीचड़ में तब्दील हो गई हैं। ग्रामीणों का कहना है कि इस तरह की स्थिति नई नहीं है। गर्भवती महिलाओं को भी प्रसव पीड़ा के दौरान खटिया पर लादकर स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाना आम बात हो गई है। गांव के पांच टोला की सड़कें वर्षों से बदहाल स्थिति में हैं, लेकिन आज तक प्रशासन और जनप्रतिनिधियों ने ध्यान नहीं दिया।
चुनाव में कर चुके हैं बहिष्कार:
ग्रामीणों ने बताया कि 2024 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने सड़क नहीं बनने के विरोध में मतदान का बहिष्कार किया था। उस दौरान बीडीओ सह निर्वाचन पदाधिकारी ने आश्वासन दिया था कि चुनाव के बाद सड़क निर्माण शुरू होगा, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
सरकार को चेतावनी: गांव वालों ने राज्य सरकार, विशेषकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से सवाल किया कि आदिवासियों की दुहाई देने वाली सरकार आदिवासी बहुल गांव की इस दुर्दशा को कब तक नजरअंदाज करेगी? ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द सड़क निर्माण का कार्य शुरू नहीं हुआ, तो वे बड़ा आंदोलन करेंगे।