कुछ ही इलाकों में प्रशासन की राहत सिमटी, “बाढ़ ने तोड़ी हिम्मत… प्रशासन की बेरुख़ी ने बढ़ाई बेबसी

साहिबगंज: गंगा का बढ़ता जलस्तर साहिबगंज जिले में तबाही का मंजर लेकर आया है। जिले के छह प्रखंडों के दर्जनों गांव बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। घरों में चूल्हा नहीं जल पा रहा, बिजली कटी हुई है, अंधेरे में जहरीले जीव-जंतुओं का खतरा बना हुआ है। मवेशियों के लिए चारा नहीं, बीमार और बूढ़े इलाज के बिना तड़प रहे हैं। शुद्ध पेयजल के लिए लोग तरस रहे हैं। तिरपाल और नाव की अनुपलब्धता से हालात और भी भयावह हो गए हैं।
रविवार को भी जारी रहा अभियान:
वहीं रविवार को भी जिप उपाध्यक्ष सुनील यादव ने राहत का सिलसिला जारी रखा। वे सदर प्रखंड क्षेत्र के लाल बथानी, मखमलपुर उत्तर, दुर्गा स्थान टोला और कारगिल दियारा पहुंचे। जहां अब तक प्रशासन की ओर से एक भी अनाज का दाना नहीं पहुंच पाया था, वहीं मसीहा बनकर सुनील यादव पहुंचे और करीब एक हजार परिवारों के बीच राहत सामग्री का वितरण किया।
फरिश्ता बनकर पहुंच रहे सुनील यादव:
इसी अंधेरे दौर में जिला परिषद उपाध्यक्ष सुनील यादव बाढ़ पीड़ितों के लिए फरिश्ता बनकर सामने आए। उन्होंने गांव-गांव जाकर न केवल लोगों की समस्याएं सुनीं, बल्कि अपनी ओर से राहत सामग्री भी वितरित की। उन्होंने किशन प्रसाद, लाल बथानी, मुसहरी टोला, कोदरजन्ना, मखमलपुर, पीलर टोला, रामपुर, पटवर टोला, हाजीपुर भिट्ठा, शोभनपुर दियारा, टोपरा, पागल दियारा समेत दर्जनों गांवों में पहुंचकर सैकड़ों परिवारों को राहत दी।

स्वतंत्रता दिवस के दिन भी 800 से अधिक परिवारों को मिली मदद:
बीते शुक्रवार को स्वतंत्रता दिवस के दिन भी सुनील यादव सदर प्रखंड क्षेत्र के शोभनपुर दियारा के मुस्लिम टोला, कादिर टोला, पासवान टोला, छठू टोला, बड़ा रामपुर दियारा, टोपरा और पागल दियारा पहुंचे। वहां उन्होंने करीब 800 परिवारों के बीच चूड़ा, चीनी, मुहरी, नमकीन, बिस्कुट और अन्य आवश्यक सामग्री वितरित की।

भावुक हुए बाढ़ पीड़ित:
राहत सामग्री पाकर लोग भावुक हो उठे। किसी ने उन्हें भगवान का रूप कहा, तो किसी ने जिंदगी बचाने वाला फरिश्ता। संकट की इस घड़ी में सुनील यादव ने एक बार फिर साबित कर दिया कि सच्चा नेता वही है जो जनता के दुख-दर्द में सबसे आगे खड़ा हो।
प्रशासन की नाकामी ने पीड़ितों की बढ़ाई मुश्किलें:
प्रशासन की ओर से अब तक राहत महज़ कुछ गांवों तक ही सिमटी हुई है, जबकि अधिकांश प्रभावित इलाकों में लोग अपने हाल पर छोड़ दिए गए हैं। न तो पर्याप्त अनाज पहुंचा है, न दवाइयां, न ही कीटनाशक का छिड़काव। पीड़ितों की नाराज़गी लगातार बढ़ रही है।