उधवा/साहेबगंज(अटल भारत टीवी न्यूज) : रहमतों और बरकतों से भरपूर यह महीना अपने अंतिम अशरे की ओर बढ़ रहा है। रोजेदार अल्लाह की इबादत में डूबे हुए हैं और इस पाक महीने के हर लम्हे को कीमती बना रहे हैं। रोजेदार दिन भर भूखे-प्यासे रहकर अल्लाह की रजा के लिए रोजा रखते हैं और शाम को इफ्तार के समय खजूर और पानी से अपना रोजा खोलते हैं। इफ्तार के बाद तरावीह की नमाज अदा की जाती है, जिसमें कुरान शरीफ की तिलावत की जाती है। सहरी के समय रोजेदार सुबह का खाना खाते हैं और दिन भर के रोजे के लिए खुद को तैयार करते हैं। रमजान का महीना सिर्फ भूखे-प्यासे रहने का महीना नहीं है, बल्कि यह आत्म-संयम, त्याग और अल्लाह के प्रति समर्पण का महीना है। इस महीने में रोजेदार अपने गुनाहों से तौबा करते हैं और अल्लाह से माफी मांगते हैं। यह महीना हमें गरीबों और जरूरतमंदों के प्रति सहानुभूति रखने और उनकी मदद करने की सीख भी देता है।
23वें रमजान की खास बातें:- आज 23 वां रोजा है, और रमजान का तीसरा अशरा चल रहा है।यह अशरा जहन्नम की आग से निजात का अशरा है।इस अशरे में शब-ए-कद्र की रात भी आती है, जो हजार रातों से अफजल है।रोजेदार इस अशरे में ज्यादा से ज्यादा इबादत करते हैं और अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं।इस अशरे में गरीबों और जरूरतमंदों को दान-पुण्य करना भी बहुत सवाब का काम है।
रमजान के महीने में कुरान हुआ नाजिल :- मुस्लिम धर्मावलंबियों की माने तो रमजान के महीने में कुरान नाजिल हुआ था। मुसलमानों के लिए रमजान का महीना बहुत पाक और मुकद्दस होता है क्योंकि इसी महीने में अल्लाह ने पैगंबर हजरत मुहम्मद के जरिए कुरान जैसी पाक किताब नाजिल की थी।कुरान का नाजिल होना एक बहुत पाक घटना है। मुसलमानों के लिए रमजान का महीना बहुत खास होता है। माना जाता है कि रमजान के महीने में जन्नत के दरवाजे खुल जाते हैं।अल्लाह रोजेदार और इबादत करने वाले की दुआ कुबूल करता है।इस पवित्र महीने में गुनाहों से बख्शीश मिलती है।