उधवा/साहेबगंज : नीति आयोग के आकांक्षी जिला फंड से उधवा झील पक्षी अभयारण्य के आसपास के गांवों में महिलाओं, खासकर आदिवासियों को जलकुंभी के तने से शिल्प बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। यह पहल वन्यजीवों की रक्षा, ग्रामीण आजीविका और पर्यावरण संरक्षण को एक साथ बढ़ावा दे रही है। उधवा झील पक्षी अभयारण्य एक महत्वपूर्ण वन्यजीव आवास है, जहां कई दुर्लभ और संरक्षित प्रजातियां पाई जाती हैं। लेकिन, जलकुंभी के तेजी से प्रसार ने झील के पारिस्थितिकी तंत्र को खतरे में डाल दिया है। इस समस्या का समाधान करने के लिए,नीति आयोग के आकांक्षी जिला फंड से महिलाओं को जलकुंभी के तने से शिल्प बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में, महिलाओं को जलकुंभी के तने से विभिन्न प्रकार के शिल्प बनाने की तकनीक सिखाई जा रही है, जैसे कि बास्केट, मैट, और अन्य सजावटी वस्तुएं। यह न केवल महिलाओं को एक नया कौशल प्रदान कर रहा है, बल्कि उन्हें अपने परिवारों की आर्थिक स्थिति में सुधार करने का अवसर भी प्रदान कर रहा है। इस पहल का एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह वन्यजीवों की रक्षा और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा दे रही है। जलकुंभी के तने से शिल्प बनाने से झील के पारिस्थितिकी तंत्र को खतरे से बचाया जा सकता है, और साथ ही साथ वन्यजीवों के आवास को भी संरक्षित किया जा सकता है।
क्या कहती है महिलाएं
इस संबंध में महिलाओं का कहना है कि यह प्रशिक्षण कार्यक्रम उनके लिए एक नए अवसर का दरवाजा खोल रहा है।, मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं जलकुंभी के तने से शिल्प बना सकती हूं, लेकिन अब मैं इसे एक व्यवसाय के रूप में देख रही हूं। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम न केवल मुझे एक नए कौशल की शिक्षा दे रहा है, बल्कि मुझे अपने परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार करने का अवसर भी प्रदान कर रहा है।