—– अस्पताल में कार्यरत चिकित्सकों पर लगाई गई कई पाबंदी
—– घटना के आरोपी झोलाछाप डॉक्टर पर प्राथमिकी दर्ज, मेडिकल स्टोर भी हुआ सील
—— अस्पताल में लगातार मिल रही शिकायतों के बाद सिविल सर्जन का रोका वेतन
फोटो कैप्शन: लाचार पिता के गोद में मृत पड़ी मासूम बच्ची
साहिबगंज: झारखंड के साहिबगंज जिले का सदर अस्पताल इन दिनों लगातार सुर्खिया बटोरने में आगे चल रहा है, बीते सोमवार को साहिबगंज सदर अस्पताल में इलाज के अभाव में छह साल की मलेरिया पीड़ित मासूम बच्ची ने अपने पिता की गोद में ही दम तोड़ दी थी। इससे पहले उसके पिता मथियस मालतो ने डॉक्टरों की तलाश में करीब एक घंटे तक अस्पताल के इमरजेंसी से लेकर ओपीडी तक भटकते रहे, उन्होंने अपनी बेटी की मौत का जिम्मेवार डॉक्टरों को ठहराया है। मथियस मालतो ने अस्पताल के डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाया है। उसने कहा कि अगर समय पर मेरी बेटी का इलाज किया जाता, तो शायद उसकी जान बच जाती।
मंडरो के सिमरिया गांव से ईलाज कराने पहुंचा था सदर अस्पताल:
बताया जा रहा है कि मंडरो प्रखंड क्षेत्र के सिमरिया गांव के निवासी 35 वर्षीय मथियस मालतो की छह साल की बेटी गोमदी पहाड़िन मलेरिया से पीड़ित थी, पिता उसे लेकर इलाज के लिए साहिबगंज सदर अस्पताल पहुंचे थे। एक घंटे तक डॉक्टर की तलाश में इधर उधर भटकते रहें, और ईलाज नहीं हो पाया। पिता का आरोप है कि चिकित्सक की लापरवाही के कारण बच्ची की जान चली गई। इस घटना के बाद सिमरिया गांव में मातम छा गया, बेटी की जान जाने का गम एक मां से बेहतर कौन जान सकता है। घटना के बाद परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है। और परिजन न्याय की गुहार लगा रहे है। उनका कहना है कि हम गरीबों को देखने वाला कोई नहीं है।
बाबूलाल मरांडी के एक्स पर पोस्ट के बाद हरकत में आई सरकार:
छह वर्षीय बच्ची की मौत की खबर अखबार में छपने के बाद राजनीतिक गलियारों में भी तुल पकड़ लिया है। विपक्ष हेमंत सरकार पर सवाल उठाते नजर आ रहे है। एक्स पर पोस्ट कर बाबूलाल मरांडी ने सरकार को घेरने का कार्य किया और आदिम जनजाति पहाड़िया को धीरे धीरे विलुप्त करने का प्रयास हेमंत सोरेन की सरकार कर रही है। ऐसा आरोप लगा रहे है। सात ही मामले में सरकार से जांच कमिटी बनाते हुए कारवाई की मांग की। जिसके बाद सूबे के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की आंख खुली और एक्स पर पोस्ट करते हुए साहिबगंज जिला के उपायुक्त को जांच कर कारवाई करने का आदेश दिया, जिसके बाद उपायुक्त हेमंत सती ने प्राथमिक कारवाई करते हुए घटना के दिन जो भी चिकित्सक अस्पताल में मौजूद थे, उनपर कारवाई करने का आदेश विभाग को दिया गया है, और मामले में सिविल सर्जन डॉ प्रवीण कुमार संथालिया के वेतन पर अगले आदेश तक रोक लगाया गया है।
घटना को लेकर जांच कमिटी का हुआ गठन:
वहीं मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय टीम गठित की गयी थी, जांच टीम में डीडीसी सतीष चंद्रा, अपर समहर्ता राज महेश्वरम और एसडीओ अंगारनाथ स्वर्णकार शामिल थे। यह टीम पूरे मामले की जांच कर डीसी को रिपोर्ट सौंप चुके है। जांच टीम ने डॉक्टर रंजन कुमार समेत मंडरो के बीडीओ को मंडरो प्रखंड के सिमरिया गांव भेजा, जहां से मालूम हुआ कि सदर अस्पताल आने से पूर्व बच्ची का ईलाज महादेवगंज में स्थित राज मेडिकल स्टोर में किसी झोला छाप डॉक्टर मो० अली राजा से करवा रहे थे, तीन दिनों तक गलत ईलाज होने के कारण बच्ची की तबियत ज्यादा बिगड़ गई, जिसके बाद झोला छाप डॉक्टर ने बच्ची को सदर अस्पताल रेफर कर दिया। जिसके कारण सदर अस्पताल में भी समय से इलाज न हो सका, और मासूम बच्ची की मौत हो गई।
झोलाछाप डॉक्टर पर प्राथमिकी दर्ज:
वहीं इस मामले में पूर्व में इलाज कर रहे झोला छाप डॉक्टर मो अली राज पर बोरियो सीएचसी प्रभारी सलखु चंद्र हांसदा के द्वारा जिरवाबाड़ी थाने में आवेदन देकर कारवाई करने का आदेश दिया है, और महादेव गंज स्थित राज मेडिकल स्टोर को सील कर दिया गया है। झोला छाप डॉक्टर पर आरोप लगाया गया है कि इसने पास कोई वैध डिग्री नहीं है, और मरीज को देखने का कोई वैध आदेश प्राप्त नहीं है। जिसको लेकर जिरवाबाड़ी थाने में प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है और आगे की कार्रवाई जारी है। फिलहाल प्राथमिकी दर्ज होने के बाद झोला छाप डॉक्टर मो अली राज घर से फरार है।
मामले में क्या कहते है डीसी:
इस संबंध में डीसी हेमंत सती ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग सहित किसी भी विभाग में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जायेगी। अगर सदर अस्पताल में चिकित्सक ने लापरवाही बरती है, तो कड़ी कार्रवाई की जायेगी।
जांच रिपोर्ट में अस्पताल में मौजूद चिकित्सकों कर भी गाज गिर सकती है। फिलहाल सदर अस्पताल में हो रहे बार-बार शिकायतों को संज्ञान में लेते हुए सिविल सर्जन प्रवीण कुमार संथालीया के वेतन पर अगले आदेश तक के लिए रोक लगा दी गई है। डीसी ने कहा कि अस्पताल में सभी चिकित्सक को बायोमीट्रिक सिस्टम से हाजिरी बनाना अनिवार्य होगा। और किसी भी चिकित्सक को छुट्टी चाहिए तो उसके लिए डीडीसी सतीश चंद्र से परमिशन लेना होगा।