— “गांव की मिट्टी और बुजुर्गों का आशीर्वाद खींच लाता है वापस खेतों की ओर”: सुनील यादव
साहिबगंज: जिला परिषद उपाध्यक्ष सुनील यादव इन दिनों एक अलग ही पहचान के साथ लोगों के बीच चर्चा में हैं। आधुनिकता की दौड़ में जहां अधिकांश लोग शहर की ओर रुख कर रहे हैं, वहीं सुनील यादव का लगाव आज भी गांव, खेती और गौ सेवा से बना हुआ है।

जिप उपाध्यक्ष सुनील यादव आज भी प्रतिदिन अपने बथान में मवेशियों की सेवा में जुटे नजर आते हैं। इसके बाद वे अपनी खुद की जमीन पर खेती-बाड़ी करते हैं। उनका कहना है कि गौ माता की सेवा और कृषि कार्य करना उनके परिवार की पुरानी परंपरा रही है, जिसे वे आज भी उसी श्रद्धा और भाव से निभा रहे हैं। उपाध्यक्ष यादव ने जानकारी दी कि जब वे पहली बार जिला परिषद उपाध्यक्ष बने थे, तब उनके पास मात्र 70 गायें थीं, लेकिन आज यह संख्या बढ़कर 300 से अधिक हो चुकी है। गायों की सेवा से उन्हें आत्मिक शांति मिलती है।
उनका स्पष्ट मानना है कि “देश की आत्मा गांवों में बसती है और जो सुकून खेतों में मिलता है, वह शहरों के चमक-धमक में नहीं मिलता।” इतना ही नहीं, उन्होंने कई एकड़ कृषि योग्य भूमि भी अधिग्रहित की है, जहां वे खुद खेती करते हैं। उनकी दिनचर्या इस बात की मिसाल है कि कैसे व्यस्त प्रशासनिक जिम्मेदारियों के बीच भी कोई अपनी जड़ों से जुड़ा रह सकता है।
उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह और राजमहल के पूर्व सांसद देवीधन बेसरा जैसे नेताओं का उल्लेख करते हुए कहा कि ये सभी भी मवेशी पालन और खेती से जुड़े रहे हैं, और यह देश की परंपरा का हिस्सा है।

बाढ़ का दंश: फसलें डूबीं, घर डूबे…. मसीहा बनकर फिर पहुंचेंगे सुनील यादव
जिप उपाध्यक्ष सुनील यादव ने बाढ़ की हालत को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए बताया कि इन दिनों गंगा का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर गया है। बीते दिन नाव से कई इलाकों का दौरा किया गया। बाढ़ के कारण फसलें और मवेशियों के लिए हरा चारा पूरी तरह डूब चुका है। हालांकि अभी जानमाल सुरक्षित है, लेकिन जलस्तर जिस तेजी से बढ़ रहा है, उससे आने वाले दिनों में हालात और भी भयावह हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि हर साल की तरह इस बार भी वे पूरी तत्परता से लोगों की सेवा में लगे रहेंगे। साथ ही, जिला प्रशासन से समय रहते बाढ़ पीड़ितों और मवेशियों के लिए समुचित व्यवस्था करने की अपील की है।