सादगी और अकीदत के साथ मनाया गया ईद मिलादुन्नबी
उधवा/साहेबगंज : पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब का जन्मदिन ईद मिलादुन्नबी पूरी अकीदत व हर्षोल्लास के साथ सोमवार को मनाया गया। मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में जुलूस का आयोजन किया गया। बड़ी संख्या में लोगों ने पूरे जोश खरोश के साथ जुलूस में भाग लिया। विधि व्यवस्था बनाए रखने को लेकर पुलिस प्रशासन मुस्तैद दिखी। जानकारी के अनुसार प्रखण्ड के उधवा, पियारपुर, इंग्लिश, प्राणपुर, कटहल बाड़ी,बेगमगंज आदि जगहों में शांतिपूर्ण तरीके से जुलूस निकाला गया। जिसके बाद जुलूस विभिन्न सड़क मार्ग होते हुए अपने गंतव्य की ओर पहुंची। इस अवसर पर सुबह से ही लोग सजधज कर मस्जिद में एकत्रित हुए जहां से हजारों की तादाद में लोग जुलूस में भाग लिए। जुलूस में हजारों की संख्या में नवयुवक व बुजुर्ग हाथ में इस्लामिक झंडे लिए हुए साथ साथ चल रहे थे और नारे तकबीर अलाहु अकबर ,सरकार की आमद मरहबा के नारे लगाकर अपनी आवाज को बुलंद किया। नारे से उधवा प्रखंड गुंजायमान हो गया। जुलूस के दौरान बच्चों से लेकर बुजुर्गों के बीच खासा उत्साह देखने को मिला।
नारे तकबीर व सरकार की आमद मरहबा के नारों से गुंजायमान हुआ उधवा
रहमत की बारिश में पूरे शान से मोहम्मद के दीवाने पीछे नहीं हटे और जुलूस में शामिल होकर एकता का संदेश दिया। जुलूस में सामाजिक व राजनीतिक दलों ने फल शरबत पानी समेत खाद्य सामग्री वितरण किया। जुलूस में किसी प्रकार का कोई अप्रिय घटना न घटे इसको लेकर जगह जगह पुलिस बल तैनात किया गया। राधानगर पुलिस जुलूस के साथ साथ चल रहे थे। जुलूस विभिन्न सड़क मार्ग से निकलकर उधवा दरगाह पीर मजार के पास पहुंचकर समाप्त हुआ। लोगों ने पीर मजार के पास पहुंचकर हाथ फैलाकर देश में अमन चैन शांति की दुआएं मांगी। जगह जगह जलसे का भी आयोजन किया गया था। जहां पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के पैगाम और उनकी शिक्षाओं का जिक्र किया गया और उनके बताए रास्ते पर चलकर पूरे विश्व में शांति स्थापित करने और आपसी मेलजोल और भाईचारे को बढ़ावा दिए जाने पर बल दिया गया। विदित हो कि मुस्लिम समुदाय के अनुयाइयों के प्रमुख त्योहारों में ईद मिलादुन्नबी एक ऐसा है इसे एक खुशियां का त्योहार माना जाता है। इस्लामिक कैलेंडर के हिसाब से तीसरे महीने रबीउल अव्वल की 12 वीं तारीख को पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के जन्मदिन के अवसर यह त्योहार मनाया जाता है। इस दिन सभी पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के जीवन और उनकी शिक्षाओं को याद करते हुए उनके द्वारा दी गई शिक्षा को अमल में लाने का संकल्प लेते है।